प्रार्थना पत्र (पत्र-लेखन) 8
पत्र लिखना भी एक अत्यन्त आवश्यक कला है। अतः विद्यार्थियों को इसका ज्ञान भी आवश्यक है। पत्र-लेखन ही ऐसी कला है जिसके द्वारा हम दूर बैठे अपने मित्रों, निकट सम्बन्धियों आदि से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।
पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए–
1. पत्र की भाषा सरल और शिष्ट होनी चाहिए।
2. एक ही बात को बार-बार नहीं दोहराना चाहिए।
3. प्रत्येक बात एक-दूसरे से सम्बन्धित होनी चाहिए।
4. लेखनी शुद्ध और साफ होनी चाहिए।
पत्र मुख्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं:
1. व्यक्तिगत पत्र – ये पत्र अपने मित्रों, सम्बन्धियों, जैसे- माता-पिता, भाई-बहन आदि के लिए लिखे जाते हैं।
2. व्यापारिक पत्र – ये पत्र वस्तुओं को खरीदने और बेचने आदि अर्थात् व्यापार की बातों के लिए लिखे जाते है।
3. सरकारी तथा अर्ध – सरकारी पत्र-ये पत्र सरकारी कार्यालयों को लिखे जाते हैं।
1. व्यक्तिगत पत्र
पुत्र का पिता को पत्र
लक्ष्मी नगर, लखनऊ
दिनांक : 1 जुलाई, 20xx
परम पूज्य पिताजी,
सादर चरण स्पर्श!
ईश्वर की कृपा से हम सभी कुशलपूर्वक हैं और आपकी कुशलता की कामना करते हैं। मेरा विद्यालय कल से खुल गया है। नई कक्षा में आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने अपनी सभी पुस्तकें खरीद ली हैं। आप जब घर आएँगे तो आपको दिखाऊँगा। आप छुट्टियों में अवश्य घर आने की कृपा करें। हम सबको पत्र का उत्तर शीघ्र देने की कृपा करें।
आपका प्रिय पुत्र
विजय कुमार
पिता का पुत्र को पत्र
गांधी नगर, मेरठ
दिनांक : 4 जुलाई, 20xx
प्रिय पुत्र विजय
चिरंजीव रहो!
तुम्हारा पत्र कल मुझे मिल गया था। मुझे यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुमने नई कक्षा में प्रवेश ले लिया। है और पुस्तकें भी खरीद ली हैं। अब तुम्हें खूब मन लगाकर पढ़ना चाहिए ताकि कक्षा में प्रथम आ सको। मैं छुट्टियों में अवश्य घर आऊँगा। आने से पूर्व पत्र लिख दूंगा। घर में सबको प्यार एवं आशीर्वाद।
तुम्हारा शुभाकांक्षी
रघुबर दत्त बलूनी
मित्र का मित्र को पत्र
गांधी नगर, लखनऊ
दिनांक : 2 अप्रैल, 20xx
परम प्रिय मित्र अजय,
सप्रेम नमस्ते!
तुमने मेरे पत्र का उत्तर नहीं दिया। क्या कारण है? मुझे चिन्ता हो रही है। आगे समाचार यह कि मेरी पढाई बहुत अच्छी चल रही है। तुम भी खूब परिश्रम करना ताकि गतवर्ष की भाँति हम दोनों वार्षिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त कर सकें। परीक्षण के बाद छुट्टियाँ हो जाएँगी। छुट्टियों में तुम मेरे यहाँ आ जाना। हम दोनों खूब घूमेंगे और खेलेंगे। यहाँ कई दर्शनीय स्थान हैं। ये सब स्थान हम देखेंगे। तुम अवश्य आना। अपने पिताजी और माताजी को मेरा प्रणाम कहना। पत्र का उत्तर अवश्य देना।
तुम्हारी मित्र
प्रदीप कुमार
2. व्यापारिक पत्र
व्यापारिक पत्र-पुस्तकें मँगवाने के लिए पत्र
व्यवस्थापक,
अशोक प्रकाशन (रजि०)
डिप्टी गंज,
बुलन्दशहर (उ०प्र०)
महोदय,
निम्नलिखित पुस्तकें ट्रांसपोर्ट कम्पनी द्वारा तुरन्त भेजने की व्यवस्था करें तथा बिल्टी पंजाब नेशनल बैंक, रिंग रोड ब्रांच द्वारा भेज दें।
1. राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा – 7 50 प्रतियाँ
2. राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा – 8 50 प्रतियाँ
भवदीय
व्यवस्थापक
गाजियाबाद
दिनांक : 21 जून, 20xx
ग्राहक द्वारा शिकायती पत्र
मेरठ शहर
व्यवस्थापक महोदय,
दिनांक : 25 जून, 20xx
श्रीमान जी,
आपके द्वारा भेजा हुआ पुस्तकों का पार्सल समय पर मिल गया। पार्सल खोलने पर उसमें से राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा- 8 की एक प्रति कम निकली है।
अतः आपसे निवेदन है कि आप डाक द्वारा यह पुस्तक शीघ्र भेज दें।
धन्यवाद!
भवदीय
राज बुक डिपो
चौक, इलाहाबाद
शिकायती पत्र को उत्तर
अशोक प्रकाशन (रजि०)
डिप्टीगंज, बुलन्दशहर
दिनांक : 28 जून, 20xx
प्रिय महोदये।
सप्रेम नमस्कॉर!
आपका पत्र दिनांक 23 जून, 26xx को प्राप्त हुआ। हमें खेद है कि पार्सल में एक पुस्तक कम निकली है। हम पहें पुस्तक आपको ठीक द्वारा भेज रहे हैं। पुस्तक प्राप्त होने पर सूचित करें।
धन्यवाद।
भवदीय
व्यवस्थापक
3. सरकारी एवं अर्द्ध-सरकारी पत्र
अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र
श्रीमान प्रधानाध्यापक महोदय,
उच्च प्राथमिक विद्यालय, लखनऊ।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि गत रात्रि से मेरे कान में बहुत अधिक दर्द हो रहा है। इस कारण मैं विद्यालय आने में असमर्थ हैं। कृपया मुझे 11.07.20XX से 12.07.20xx तक दो दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
मैं आपका अत्यन्त आभारी रहूँगा।
आपको आज्ञाकारी शिष्य
सतीश सिंघल
कक्षा 8 ब
दिनांक : 10 जुलाई, 20xx
शुल्क मुक्ति हेतु प्रार्थना पत्र
प्रधानाध्यापिका महोदया,
उच्च प्राथमिक विद्यालय, इलाहाबाद।
महोदया,
मैं आपके विद्यालय की कक्षा 8 अ की छात्रा हूँ, गत वर्ष में मैंने कक्षा 6 और 7 में आपके विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। मेरे पिताजी की मासिक आय केवल 5000 रुपये है तथा मेरे छोटे बहन, भाई क्रमशः तीसरी और छठी कक्षा में पढ़ रहे हैं।
अतः आपसे सविनय प्रार्थना है कि गत वर्ष की भाँति आप मुझे इस वर्ष भी शुल्क से मुक्ति प्रदान करने की कृपा करें ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। मैं आपकी अत्यन्त आभारी रहूँगी।
आपकी आज्ञाकारी शिष्या
रजनी
कक्षा 8 अ।
दिनांक : 09 जुलाई, 20xx