विभक्ति-प्रकरण 11
विभक्ति-प्रकरण
नवीनतम पाठ्यक्रम में कुछ उपपद विभक्ति के नियम निर्धारित है। इसके अन्तर्गत 2 अके प्रश्न पूछे जाते हैं। परीक्षा में रखाकित शब्दों में लगी विभक्ति तथा उससे सम्बन्धित सूत्र का उल्लेख करने को कहा जाता है। कभी सूत्र की व्याख्या कर उदाहरण देने को भी कहा जाता है। नीचे निर्धारित नियम दिये जा रहे हैं। इन्हीं नियमों के आधार पर अनुवाद के वाक्य भी पूछे जाएंगे।
ध्यान दे – तारांकित (*) सूत्र नवीनतम पाठ्यक्रम में निर्धारित नहीं हैं। पारस्परिक सम्बद्धता के कारण इनसे भी प्रश्न पूछ लिये जाते हैं। अत: यहां दिये जा रहे हैं।
(अ) सूत्र – अभितः परितः समया निकषा हा प्रतियोगेऽपि।
अभितः (चारों ओर या सभी ओर), परितः (सभी ओर), समया (समीप), निकष (समीप), हा (शोक के । लिए प्रयुक्त शब्द), प्रति (ओर, तरफ) शब्दों के योग में द्वितीया विभक्ति होती है।
उदाहरण:
(ब) सूत्र – येनाङ्गविकारः।
जिस अंग में विकार होने से शरीर विकृत दिखाई दे, उस विकारयुक्त अंग में तृतीया विभक्ति होती है।
उदाहरण:
(स) सूत्र – सहयुक्तेऽप्रधाने।
साथ अर्थ वाले सह, साकम्, सार्धम्, समम् शब्दों के योग में अप्रधान (जिसके साथ जाने वाला जाए) में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
उदाहरण:
(द) सूत्र – साधकतमं करणम्।
जिसकी सहायता से कार्य पूर्ण होता है, उसमें तृतीया विभक्ति होती है।
(य) सूत्र – नमः स्वस्तिस्वाहास्वधाऽलंवषट्योगाच्च। नमः (नमस्कार), स्वस्ति (कल्याण), स्वाहा (आहुति), स्वधा (बलि), अलं (समर्थ, पर्याप्त), वषट्। (आहुति)-इन शब्दों के योग में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
उदाहरण:
(र) सूत्र – ध्रुवमपायेऽपादानम्।
स्वयं से अलग करने वाले अर्थात् ध्रुव (मूल) में पञ्चमी विभक्ति होती है; जैसे-वृक्ष से पत्ते गिरते हैं। इस वाक्य में पत्तों को स्वयं से अलग करने वाला वृक्ष है; अतः वृक्ष में पञ्चमी विभक्ति होगी।
उदाहरण:
(ल) सूत्र – आख्यातोपयोगे।
नियमपूर्वक विद्या ग्रहण करने में जिससे विद्या ग्रहण की जाती है, उसमें पंचमी विभक्ति होती है।
उदाहरण: उपाध्यायात् अधीते। उपाध्याय से पढ़ता है।
(व) सूत्र – भीत्रार्थानां भयहेतुः।
‘भय’ तथा ‘रक्षा’ अर्थ वाली धातुओं के योग में जिससे डरा जाता है या जिससे रक्षा की जाती है, उसमें पंचमी विभक्ति होती है।
उदाहरण: सिंहात् बिभेति। सिंह से डरता है।
(श) सूत्र – षष्ठी शेषे।
छ: कारकों के अतिरिक्त सम्बन्ध अर्थ शेष बचता है। सम्बन्ध अर्थ में षष्ठी विभक्ति होती है।
उदाहरण:
(व) सूत्र – यतश्च निर्धारणम्।
जहाँ बहुतों में से किसी एक को छाँटा जाए, वहाँ जिसमें से छाँटा जाये, उसमें षष्ठी और सप्तमी विभक्तियाँ होती हैं।
उदाहरण: