साहित्यिक हिंदी कक्षा 12

प्रत्यय परिभाषा जो अक्षर या अक्षरसमूह संस्कृत में ‘शब्द’ अथवा ‘धातु के अन्त में जुड़कर नवीन शब्दों की रचना करते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। प्रत्यय के दो भेद होते हैं। कृदन्त प्रत्यय कृदन्त प्रत्यय ‘धातु’ में जुड़कर नए शब्दों की रचना करते हैं। का (त), क्त्वा (त्वा), तव्यत् (तथ्य) एवं अनीयर् (अनीय) कृदन्त प्रत्यय …

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पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी निबन्ध 1. जीवन में वक्षों का महत्त्व (2018)अन्य शीर्षक वृक्ष हमारे जीवन साथी संकेत बिन्दु भूमिका, हमारे जीवन में वनों की उपयोगिता/लाभ, पर्यावरण को सन्तुलित करना, वृक्षारोपण का महत्त्व, उपसंहार।। भूमिका पेड़-पौधों के महत्त्व को कभी भी कमतर नहीं आंका जा सकता, क्योंकि ये हमारे जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। प्रकृति ने घनों ने रूप में …

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धातु रूप परिभाषा क्रिया के मूल रूप को ‘धातु’ कहते हैं; जैसे—पठ, गम्, लिखू, नम् आदि। लकार की परिभाषा संस्कृत भाषा में काल को ‘लकार’ कहते हैं, जैसे-वर्तमान काल-लेट् लकार, भूतकाल-लङ्ग लकार, भविष्यत् काल तृट् लकार आदि। लकार के भेद संस्कृत में दस लकार होते हैं। लट् लकार लङ्ग लकार तृट् लकार लोट् लकार विधिलिङ्ग …

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आर्थिक निबन्ध 1. ग्रामीण रोजगार योजनाएँ (2016) संकेत विन्दु भूमिका, ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा बनाई गई नवीन योजनाएँ, उपसंहार। भूमिका स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत के सामने एक बड़ी चुनौती थीप्रामीणों की दशा सुधारने के लिए उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना, क्योंकि किसानों को समृद्ध किए बिना देश की पूर्ण समृद्धि की कल्पना नहीं की जा …

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Hindi छन्द छन्द का अर्थ एवं परिभाषा ‘छन्द’ शब्द की उत्पत्ति ‘छिदि’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ है- ढकना अथवा आच्छादित करना। छन्द उस पद-रचना को कहते हैं, जिसमें अक्षर, अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा, मात्रा की गणना के साथ-साथ यति (विराम) एवं गति से सम्बद्ध नियमों का पालन किया गया हो। छन्द …

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 Hindi अलंकार अलंकार का अर्थ एवं परिभाषा प्रसिद्ध संस्कृत आचार्य दण्डी ने अपनी रचना ‘काव्यादर्श’ में अलंकार को परिभाषित करते हुए लिखा है-‘अलंकरोतीति अलंकारः’ अर्थात् शोभाकारक पदार्थ को अलंकार कहते हैं। हिन्दी में रीतिकालीन कवि आचार्य केशवदास ने ‘कविमिया’ रचना में अलंकार की विशेषताओं का विवेचन प्रस्तुत किया है। वस्तुतः भाषा को शब्द एवं शब्द …

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Class 12 Sahityik Hindi रस रस का अर्थ रस का शाब्दिक अर्थ आनन्द है। संस्कृत में वर्णन आया है-‘रस्यते आस्वाद्यते इति रसः’ अर्थात् जिसका आस्वादन किया जाए, वह रस है, किन्| साहित्यशास्त्र में काव्यानन्द अथवा काव्यास्वाद के लिए रस शब्द प्रयुक्त होता है। परिभाषा काव्य को पढ़ने, सुनने अथवा नाटक देखने से सहृदय पाठक, श्रोता …

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