संस्कृत कक्षा-10

वाक्य – प्रयोग (रचना) प्रश्न-परिचय वाक्य-प्रयोग से सम्बन्धित प्रश्न के अन्तर्गत आठ-दस शब्द देकर उनमें से किन्हीं चार शब्दों का संस्कृत वाक्यों में प्रयोग करने के लिए कहा जाता है। इसके लिए पाठ्यक्रम में कुल 4 अंक निर्धारित हैं। ध्यान दें – विशेष रूप से हाईस्कूल परीक्षा में पूछे गये शब्दों के वाक्य-प्रयोग यहाँ पर …

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निबन्ध (रचना) संस्कृत में वाक्यों की रचना दसवीं कक्षा में किसी सामान्य विषय पर संस्कृत में आठ वाक्य लिखने होते हैं। विद्यार्थियों को शुद्ध संस्कृत में सरल और छोटे-छोटे वाक्य लिखने चाहिए। इसके लिए सबसे पहले छात्रों को हिन्दी में वाक्य लिखकर उनकी संस्कृत बनाकर क्रम से लिख लेना चाहिए। निबन्ध-रचना के समय निम्नलिखित बातों …

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Chapter 11 जीव्याद् भारतवर्षम् (पद्य – पीयूषम्) परिचय डॉ० चन्द्रभानु त्रिपाठी संस्कृत के उत्कृष्ट कवि एवं नाटककार हैं। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद में सन् 1925 ई० में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर तथा उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई। प्रयाग विश्वविद्यालय के द्वारा “व्याकरण-दर्शन के विशिष्ट अध्ययन” पर आपको डी० फिल्० …

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Chapter 10 उपनिषत – सुधा (पद्य – पीयूषम्) परिचय भारतवर्ष के वेद निर्विवाद रूप से विश्व-वाङमय में सर्वाधिक प्राचीन हैं। इन्हें अपौरुषेय और नित्य माना जाता है। यही कारण है कि इनके रचना-काल-निर्धारण के सन्दर्भ में भारतीय विचारक मौन हैं। सम्पूर्ण वैदिक वाङ्मय चार भागों-संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक् और उपनिषद् में विभक्त हैं। इनमें संहिता भाग स्तुति-प्रधान, …

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Chapter 9 गीतामृतम् (पद्य – पीयूषम्) परिचय समस्त उपनिषदों की सारभूत ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ भारतीय दर्शन की अमूल्य निधि है। यह महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित अनुपम ग्रन्थ; ‘महाभारत’ जिसे पंचम वेद भी माना जाता है; के अन्तर्गत सात-सौ श्लोकों का संकलन है। श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया; निष्काम कर्म करने का; उपदेश ही इसका मुख्य प्रतिपाद्य …

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Chapter 8 सिद्धार्थस्य निर्वेदः (पद्य – पीयूषम्) परिचय महाकवि अश्वघोष मूलत: बौद्ध दार्शनिक थे। बौद्ध भिक्षु होने के कारण इन्हें आर्य भदन्त भी कहा जाता है। ये कनिष्क के समकालीन और साकेत के निवासी थे। इनकी माता का नाम सुवर्णाक्षी था। अश्वघोष के दो महाकाव्यों—बुद्धचरितम् और सौन्दरनन्द के साथ खण्डित अवस्था में एक नाटक-शारिपुत्रप्रकरण–भी प्राप्त होता है। …

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Chapter 7 विद्यार्थिचर्या (पद्य – पीयूषम्) परिचय स्मृति-ग्रन्थों में जीवन की रीति-नीति, करणीय-अकरणीय कर्म, इनके औचित्य-अनौचित्य एवं विधि-दण्ड का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। प्रमुख स्मृति-ग्रन्थों की संख्या अठारह मानी जाती है। इनमें जो सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्मृति-ग्रन्थ है, उसका नाम है-‘मनुस्मृति’। इसके रचयिता आदिपुरुष मनु को माना जाता है। प्रस्तुत पाठ के श्लोक इसी …

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Chapter 6 नागाधीरजः (पद्य – पीयूषम्) परिचय महाकवि कालिदास संस्कृत-साहित्य में ‘कविकुलगुरु’ की उपाधि से समलंकृत तथा विश्व के कवि-समाज में सुप्रतिष्ठित हैं। इनकी जन्मभूमि भारतवर्ष थी। इन्होंने निष्पक्ष होकर भारतभूमि व उसके प्रदेशों के वैशिष्ट्य का वर्णन किया है। इनके काव्यों व नाटकों में हिमालय से लेकर समुद्रतटपर्यन्त भारत का दर्शन होता है। प्रस्तुत पाठ …

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Chapter 5 क्षान्ति – सौख्यम् (पद्य – पीयूषम्) परिचय प्रस्तुत पाठ महर्षि व्यास द्वारा प्रणीत महाभारत से संगृहीत है। धृतराष्ट्र के सारथी संजय को दिव्य-दृष्टि व्यास जी ने ही दी थी जिसके द्वारा उसने महाभारत के युद्ध का आँखों देखा वर्णन धृतराष्ट्र को सुनाया था। प्रस्तुत पाठ में महाभारत के युद्ध के अन्त में शर-शय्या …

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Chapter 4 सूक्ति – सुधा (पद्य – पीयूषम्) परिचय प्रस्तुत पाठ के अन्तर्गत कुछ सूक्तियों का संकलन किया गया है। ‘सूक्ति’ का अर्थ ‘सुन्दर कथन है। सूक्तियाँ प्रत्येक देश और प्रत्येक काल में प्रत्येक मनुष्य के लिए समान रूप से उपयोगी होती हैं। जिस प्रकार सुन्दर वचन बोलने से बोलने वाले और सुनने वाले दोनों …

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