Up Class 11 संस्कृत : दिग्दर्शिका

Chapter 10 सुभाषचन्द्रः अवतरणों का ससन्दर्भ अनुवाद (1) सप्तनवत्युत्तराष्टादशशततमेऽब्दे ……………….. स्वीकृतवान्। [सप्तनवत्युत्तरराष्टादशशततमेऽब्दे (सप्तनवति-97 + उत्तर-ऊपर, अधिक + अष्टादशशततमे1800वें +अब्दे-वर्ष में = सन् 1897 ई० में। बङ्गभुवम् अलञ्चकार = बंगभूमि (बंगाल) को अलंकृत किया। राजकीय-प्राडिववाकः = सरकारी वकील। परीक्षामुत्तीर्यापि (परीक्षाम् + उत्तीर्य + अपि) = परीक्षा को “उत्तीर्ण करके भी। भृत्यत्वम् = दासता को।] सन्दर्भ – …

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Chapter 9 चतुरश्चौरः अवतरणों का ससन्दर्भ अनुवाद (1) आसीत् …………………………. विचक्षणाः।। संवर्द्धनञ्च साधूनां ………….. नीति-विचक्षणाः।। [तत्रैकदा (तत्र +एकदा) = वहाँ एक बार। चोरयन्तः = चुराते हुए। चत्वारः चौराः = चार चोर। सन्धिद्वारि = सेंध के मुहाने पर प्रशास्तृपुरुषैः = सिपाहियों के द्वारा घातकपुरुषान् = जल्लादों (वधिकों) को। आदिष्टवान =आज्ञा दी। विमर्दनम् = दमन करना। बुधाः …

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Chapter 8 विश्ववन्द्याः कवयः श्लोकों का ससन्दर्भ अनुवाद वाल्मीकिः (1) कवीन्दं नौमि ……………………… कोविदाः।। [ कवीन्दु (कवि +इन्दुम्) = कविरूपी चन्द्रमा क़ो। नौमि – नमस्कार करता हूँ। चन्द्रिकामिव (चन्द्रिकाम् + इव) = चाँदनी के सदृश। चिन्वन्ति = चुनते हैं, चुगते हैं। कोविदाः = विद्वान् लोग।] सन्दर्भ – प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत दिग्दर्शिका’ के ‘विश्ववन्द्याः …

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Chapter 7 लोभ: पापस्य कारणम् अवतरणों का ससन्दर्भ अनुवाद (1) एको …………………………. पश्यति।। [ सरस्तीरे (सरः +तीरे) = सरोवर के किनारे बूतेकह रहा था। लोभाकृष्टेन (लोभ +आकृष्टेन) = लोभ से आकृष्ट (पथिक) द्वारा। पान्येनालोचितम (पान्थेन + आलोचितम्) = पथिक ने सोचा। संशयमनारुह्य (संशयम् +अनारुह्य) = सन्देह पर चढ़े बिना (सन्देह किये बिना)। पुनरारुह्य (पुनः + …

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Chapter 6 चरैवेति-चरैवेति श्लोकों का ससन्दर्भ अनुवाद (1) वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति …………………. न प्रमादितव्यम् ||1|| [ वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति (वेदम् + अनूच्य+आचार्याः+अन्तेवासिनम् + अनुशास्ति) =वेद का अध्ययन पूर्ण कराके वेदाचार्य दूर जाने वाले (अर्थात् प्रस्थान करने वाले विद्यार्थी) को अनुशासित करता है। चर -आचरण करो। स्वाध्यायान्मा (स्व + अध्यायात् + मा) प्रमदः = स्वाध्याय से प्रमाद मत करो। धनमाहृत्य …

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Chapter 5 गीतामृतम् श्लोकों का ससन्दर्भ अनुवाद (1)तं तथा ……………………… मधुसूदनः।। [कृपयाविष्ठमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् (कृपया +आविष्टम् +अश्रुपूर्ण +आकुल + ईक्षणम्) = करुणा से युक्त (दयनीय), आँसुओं से परिपूर्ण व्याकुल नेत्रों वाले (अर्जुन)। विषीदन्तम् = दुःखी होते हुए (विषाद करते हुए)। मधुसूदनः = भगवान् कृष्ण।] सन्दर्भ – यह श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत दिग्दर्शिका’ के ‘गीतामृतम्’ नामक पाठ से …

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Chapter 4 हिमालयः अवतरणों का ससन्दर्भ अनुवाद (1)भारतदेशस्य …………………… प्रान्तरे तिष्ठति। भारतदेशस्य ……………………. प्रदेशाः च सन्तिः । भारतदेशस्य …………………….. नाम सुप्रसिद्धम्। भारतदेशस्य ………………….. उन्नततमानि सन्ति। [नाम्नाभिधीयते (नाम्ना +अभिधीयते) = नाम से पुकारा जाता है। हिमगिरिरित्यपि (हिमगिरिः + इति + अपि) – हिमगिरि भी। उन्नतानि = ऊँची। आच्छादितानि = ढकी हुई। प्रभृतीनि = इत्यादि। उन्नततमानि – …

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Chapter 3 सदाचारोपदेशः श्लोकों का ससन्दर्भ अनुवाद (1)सं गच्छध्वं ………………… उपासते।। [सं गच्छध्वम्-मिलकर चलो। संवदध्वम् = मिलकर बोलो। वः मनांसि-अपने मनों को। सं जानताममिलकर जानो। पूर्वे सञ्जनानां देवाः – प्राचीनकाल में एक मत में रहने वाले देवगण| भागम् = (अपने) कर्तव्य कर्म के अंशों को। उपासते = करते थे।] सन्दर्भ – प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक …

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Chapter 2 प्रयाग: अवतरणों का ससन्दर्भ अनुवाद भारतवर्षस्य …………………… प्रत्यगच्छत् । गङ्गायमुनयोः ……………… आत्मान पावयान्ता । भारतवर्षस्य ………………… आत्मानं पावयन्ति। [ ब्रह्मणः = ब्रह्मा का। प्रकृष्टयागकरणात् = उत्तम यज्ञ करने से। सितासितजले (सित + असित + जले) – श्वेत और श्याम जल में (अर्थात गंगा और यमुना के जल में)। विगतकल्मषाः = पापरहित] अमायाम् =अमावस्या …

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Chapter 1 वन्दना श्लोकों का ससन्दर्भ अनुवाद (1) विश्वानि ……………………. आसुव। [ विश्वानि = सम्पूर्ण देव सवितर् = हे सूर्यदेव! दुरितानि = पापों को परासुव= दूर करो, नष्ट करो। यद् (यत्) = जो कुछ। भद्रं = कल्याणकारी (हो)। तन्नः (तत् + नः) = वह हमें। आसुव = प्रदान करो।] सन्दर्भ – प्रस्तुत वैदिक मन्त्र हमारी …

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