काव्य सौन्दर्य के तत्त्व रस् काव्य सौन्दर्य के तत्त्व रस प्रश्न 1: रस क्या है? उसके अंगों पर प्रकाश डालिए। उत्तर: श्रव्य काव्य पढ़ने या दृश्य काव्य देखने से पाठक, श्रोता या दर्शक को जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, उसे ‘रस’ कहते हैं। विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी (या संचारी) भावों के संयोग से रस …
Up Class 11 साहित्यिक हिंदी : काव्य सौन्दर्य के तत्त्व
काव्य सौन्दर्य के तत्त्व छन्द छन्द छन्द का अर्थ है – ‘बन्धन’। ‘बन्धनमुक्त’ रचना को गद्य कहते हैं और बन्धनयुक्त को पद्य। छन्द प्रयोग के कारण ही रचना पद्य कहलाती है और इसी कारण उसमें अद्भुत संगीतात्मकता उत्पन्न हो जाती है। दूसरे शब्दों में, मात्रा, वर्ण, यति (विराम), गति (लय), तुक आदि के नियमों से …
काव्य सौन्दर्य के तत्त्व अलंकार अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं-काव्यशोभाकरान् धर्मानलङ्कारान् प्रचक्षते। अलंकार के दो भेद होते हैं – (क) शब्दालंकार तथा (ख) अर्थालंकार।। जहाँ काव्य की शोभा का कारण शब्द है, वहाँ शब्दालंकार और जहाँ शोभा का कारण उसका अर्थ है, वहाँ अर्थालंकार होता है। जहाँ काव्य में …