Up Class 7 संस्कृत पीयूषम्

chapter 17 समाज निर्माणे नारीणां भूमिका शब्दार्थाः- ब्रह्मवादिनी = ब्रह्मविषयक ज्ञान में निष्णात, परमतत्वचिन्तने = अध्यात्म तत्व के चिन्तन में, प्रज्ञावती = बुद्धिमती, दक्षा = समर्थ, समकक्षतां = समानता को, आपणेषु = दुकानों में, सहयोगितया = ;सहयोगी के रूप में कन्धे से कन्धा मिलाकर,  भूषयन्तः = शोभित  करती हुई, पुष्णाति = पुष्ट करता है, सरस्वत्यवतारभूता …

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chapter 16 विश्वबन्धुत्वम् शब्दार्थाः- नितराम् = पूरी तरह से, अपरिहार्या = अनिवार्य, सम्भवति = सम्भव हो सकता है, परोवेति = दूसरे का है ऐसा मानकर। लघुचेतसाम् = छोटे हृदय वालों का, शब्दार्थाः-साम्प्रतम् = इस समय, सन्तर्तुम् = पार करने के लिए, आक्रान्ताम् = भयभीत, भ्रान्ताः = भटके हुए, हन्ता = मारने वाला,  सञ्जातः = ठीक तरह …

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chapter 15 संस्कृतम् शब्दार्थाः – भारतीयैकता-साधकम् = भारतीय एकता को सिद्ध करने वाला, भारतीयत्वे-सम्पादकम् = भारतीयता की भावना का सम्पोषक, ज्ञानपुञ्जप्रभादर्शकम् = ज्ञान-समूह के प्रकाश को दिखलाने वाला, आनन्दसन्दोहदम् = आनन्द समूह को देने वाला, सर्वभूतैकता = सभी प्राणियों के प्रति ऐक्यभावना, सर्वतः = चारों ओर.शान्तिसंस्थापकम् = शान्ति की स्थापना करने वाला, पञ्चशीलप्रतिष्ठापकम् = पंचशील …

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chapter 14 वीराङगना विश्पला शब्दार्थाः- वीराङ्गना = वीर स्त्री, कुर्वती = करती हुई, परिवेष्टिता जाता = घेर ली गई, छिन्नौ = कट गए, हतोत्साहा = उत्साह रहित, आहूतवान् = बुलाया, अकल्पयताम् = जोड़ दिया, बना दिया, निहितम् = जमा किया हुआ, इत्थम् = इस प्रकार, आहृतवती = ले ली, अत एवोक्तम् = इसलिए कहा गया है, …

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chapter 13 यक्षयुधिष्ठिर-संवादः शब्दार्था:- किंस्वित् = कौन, खात् = आकाश से, बहुतरम् = अपेक्षाकृत अधिक, प्रवसतः = पर देश में रहने वाले का, आतुरस्य = रोगी का, दुर्जयः = कठिनाई से जीतने योग्य, पुंसाम् = मनुष्यों का, अनन्तकः = कभी अन्त न होने वाला, सर्वभूतहितः =  सभी प्राणियों का हित करने वाला। किंस्विद्गुरुतरं …………………………………………………………… तृणात् ॥1॥ …

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chapter 12 आदिकविः वाल्मीकिः शब्दार्थाः- व्याधेन = बहेलिया द्वारा, क्रौञ्चपक्षिणम् = क्रौंच नामक पक्षी को, उच्चैः = जोर-जोर से, क्रन्दनम् = विलाप को, चीख को, कारुणिकः = दयालु, निषाद! = हे व्याध, प्रतिष्ठाम् = सम्मान, ततः प्रभृति = से लेकर, विज्ञान = जानकर, विदित्वा = जानकर,  दाक्षिण्यम् = उदारता, अनुकूलता; जीवनमूल्यानि = आदर्श जीवन के मूल्य। …

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chapter 11 सिंह दिलीपयोः संवाद शब्दार्थाः- हन्तुम् = मारने के लिए, वृथा = व्यर्थ, महीपाल = राजा, पालितवती = पालन की, त्वक् = त्वचा (पेड़की छाल), उच्छिन्नम् = छील दिया, दुष्कृतेन = दुष्टता से, रक्षणार्थम् = रक्षा करने के लिए, अदिष्टः = आदेशित किया गया, अस्यां गुहायाम् = इस गुफा में, धेनुः = गाय, ममार्थ …

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chapter 10 निम्बतरोः साक्ष्यम! शब्दार्था:- विमृश्य = सोचकर, गत्ते = गड्ढा, दद्वयोर्मध्ये = दोनों के बीच में, छम्मबुद्धिः – बेईमान, आहूतवान् = निकाल ले आया, अन्तिकम् = समीप, भवतु नाम = जाने दीजिए, अपरेदयु:दूसरे दिन, समुत्सुक = अत्यधिक आतुर, सम्मर्दः = भीड़, वाष्पकण्डः = रुंधे गले से, सद्य एवं = शीघ्र ही, शुष्केन्धनं = सूखी लकड़ियाँ, …

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chapter 9 सुभाषितानि शब्दार्था:- क्षणशः = प्रतिपल, चिन्तयेत् = चिन्तन करना चाहिए, नार्जिता = नहीं प्राप्त किया, तुष्यन्ति = तुष्ट होते हैं, वक्तव्यम् = बोलना चाहिए, अनृतम् = झूठ, जाड्यंधियः = बुद्धि की जड़ता, पापमपाकरोति = पापों को दूर करती है, तनोति = फैलाती है, दिक्षु = दिशाओं में, पुंसाम् = व्यक्तियों का।। क्षणशः ……………………………………………………… धनम् …

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chapter 8 श्रम एव विजयते शब्दार्थाः- द्वारादिनिर्माणहेतोः = द्वार आदि के निर्माण के लिए, उत्थाप्य = उठाकर, काष्ठस्य = लकड़ी का, यानम् = सवारी, आरोपयितुं = चढ़ाने के लिए यतमानाः = प्रयत्नशील, अतिभारवत्तवात् = अधिक भारी होने से, अक्षमाः = असमर्थ, दूरतः = दूर से, तुरङ्गाधिरूढः = घोड़े पर सवार, सुकरम् = सरल (आसान), परिधानम् = …

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