Chapter 13 आरोग्य-साधनानि (पद्य-पीयूषम्) परिचय-भारतीय चिकित्सा विज्ञान के दो अमूल्य रत्न हैं-‘चरक-संहिता’ और ‘सुश्रुत-संहिता’। महर्षि चरक ने ईसा से 500 वर्ष पूर्व ‘अग्निवेश-संहिता’ नामक ग्रन्थ का प्रतिसंस्कार करके चरक-संहिता’ की रचना की थी। इसके 200 वर्ष पश्चात् अर्थात् ईसा से लगभग 300 वर्ष पूर्व ‘सुश्रुत-संहिता’ नामक ग्रन्थ की रचना महर्षि सुश्रुत द्वारा की गयी। चरक-संहिता में …
Up class 9 संस्कृत : पद्य-पीयूषम्
Chapter 12 यक्ष-युधिष्ठिर-संलाप (पद्य-पीयूषम्) परिचय–प्रस्तुत पाठ महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित ‘महाभारत’ के वनपर्व से संगृहीत है। इन , श्लोकों में यक्ष और युधिष्ठिर के संलाप द्वारा जीवन एवं जगत् के व्यावहारिक पक्ष की मार्मिक व्याख्या की गयी है। अपने प्रवास के समय एक बार पाँचों पाण्डव वन में थे। युधिष्ठिर को प्यास लगती है। वह …
Chapter 11 नीति-नवनीतम् (पद्य-पीयूषम्) परिचय–महर्षि वेदव्यास कृत महाभारत नामक विशाल ग्रन्थ विचारों का एक महान् कोश है। इसमें कौरव-पाण्डव-युद्ध की कथा के माध्यम से अनेक विषयों पर व्यापक महत्त्व के विचार व्यक्त किये गये हैं। महाभारत के प्रमुख पात्रों में विदुर का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये धृतराष्ट्र के भाई, सच्चे उपदेशक एवं नीति-शास्त्र के …
Chapter 10 क्रियाकारक-कतूहलम् (पद्य-पीयूषम्) परिचय-कोरक और क्रिया के सम्बन्ध से वाक्य का निर्माण होता है। अतः कारक और क्रिया-पदों के भली-भाँति ज्ञान से ही वाक्य का ज्ञान सम्भव है। वाक्य-रचना के समुचित ज्ञान से ही किसी भाषा को समझने एवं बोलने की शक्ति मिलती है। संस्कृत भाषा के लिए तो इस ज्ञान का होना और भी आवश्यक …
Chapter 9 पण्डितमूढयोर्लक्षणम् (पद्य-पीयूषम्) परिचय-भारतीय वाङमय में वेदों के पश्चात् प्राचीन और सर्वमान्य ग्रन्थों में वेदव्यास अथवा कृष्णद्वैपायन व्यास द्वारा रचित महाभारत का सर्वोच्च स्थान है। धार्मिक, राजनीतिक, व्यावहारिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक तथा साहित्यिक दृष्टि से यह ग्रन्थ अत्यधिक गौरवपूर्ण है। भारतवर्ष में ही नहीं अपितु विश्व साहित्य में महाकाव्यों में सर्वप्रथम इसी की गणना की जाती …
Chapter 8 नारी-महिमा (पद्य-पीयूषम्) परिचय-सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन के विविध पक्षों पर प्रकाश डालने वाले ग्रन्थों को स्मृति कहते हैं। श्रुति’ से जिस प्रकार वेद, ब्राह्मण, आरण्यक् और उपनिषद् ग्रन्थों का बोध होता है; उसी प्रकार ‘स्मृति’ को ग्रन्थकारों ने धर्मशास्त्र का पर्याय माना है। धर्मशास्त्र उस शास्त्र को कहते हैं, जिसमें राजा-प्रजा के अधिकार, …
Chapter 7 भारतदेशः (पद्य-पीयूषम्) परिचय–विश्व में ऐसा कोई भी देश नहीं है, जो भारत के ज्ञान और विज्ञान से स्पर्धा कर सके। भारत का प्राकृतिक सौन्दर्य तो अनुपम ही है। यह वह देश है, जहाँ शरीरधारी सुकर्म करते हुए मोक्ष प्राप्त करते हैं। मनुष्य ही नहीं अपितु देवता भी मोक्ष की कामना से भारतभूमि पर अवतरित होते …
Chapter 6 कपिलोपाख्यानम् (पद्य-पीयूषम्) परिचय–वेदों के अर्थ को सरल एवं सरस बनाने हेतु महर्षि व्यास ने अठारह पुराणों की रचना की। इन्हीं अठारह पुराणों में स्कन्दपुराण का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है। भौगोलिक क्षेत्रों का विस्तृत और विशद विवरण प्रस्तुत करना इस पुराण के विविध खण्डों का वैशिष्ट्य है। इस बृहत्काय पुराण में वेदों की सामग्री …
Chapter 5 अन्योक्तिमौक्तिकानि (पद्य-पीयूषम्) परिचय–प्रस्तुत को कुछ कहने के लिए जब किसी अप्रस्तुत को माध्यम बनाया जाता है, तब उसे अन्योक्ति कहते हैं। संस्कृत-साहित्य में इसे अप्रस्तुत-प्रशंसा अलंकार भी कहा जाता है। इस कथन में जिस पर बात सार्थक होती है उसे प्रस्तुत’ और जिस किसी पर बात रखकर कही जाती है, वह अप्रस्तुत कहलाता …
Chapter 4 दीनबन्धुर्गन्धी (पद्य-पीयूषम्) परिचय–प्रस्तुत पाठ पण्डिता क्षमाराव द्वारा रचित ‘सत्याग्रहगीता’ से उद्धृत है। इस पुस्तके में इन्होंने सरस, सरल और रोचक पद्यों में राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम का तथा महात्मा गाँधी के आदर्श चरित्र, का सुचारु रूप से वर्णन किया है। इस ग्रन्थ में गाँधी जी द्वारा संचालित सत्याग्रह का विशद् वर्णन है। प्रस्तुत पाठ …