Chapter 10 संस्कृत-पदों का स्वरचित वाक्यों में प्रयोग (रचना)
Up class 9 संस्कृत : व्याकरण
Chapter 9 पत्र-लेखनम् (रचना) नवीं कक्षा में प्रार्थना-पत्र या निमन्त्रण-पत्र लिखने के लिए आते हैं। नवीं कक्षा के छात्रों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सरल संस्कृत में अपने विचार व्यक्त कर सकें। प्रधानाचार्य या अन्य अधिकारियों को लिखे गये पत्र प्रार्थना-पत्र कहलाते हैं। प्रार्थना-पत्र लिखते समय प्रथम पंक्ति में बायीं ओर सेवायाम्’ …
Chapter 8 हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद किसी भी भाषा के वाक्यों को दूसरी भाषा के शब्दों में शब्दशः या भावत: बदलने को अनुवाद कहते हैं। अनुवाद शब्द दो शब्दों-अनु = पश्चात्, वाद = कहना–से मिलकर बना है। इसका तात्पर्य है-एक बात को फिर से कहना अर्थात दूसरे अन्य शब्दों में बदलकर कहना। प्रसिद्ध …
Chapter 7 उपसर्ग-प्रकरण (व्याकरण) जो शब्दांश धातु, संज्ञा और विशेषणादि के पूर्व जोड़े जाकर उनके अर्थ में विशेषता उत्पन्न कर देते हैं या सर्वथा अर्थ को बदल देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं; जैसे-‘हार’ से पूर्व (प्र + हार), आ (आ + हार), सम् (सम् + हार), वि (वि * हार), परि (परि + हार)। …
Chapter 6 कारक एवं विभक्ति प्रकरण (व्याकरण) विश्व की समस्त भाषाओं में संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है, जिसके वाक्य-विन्यास में कर्ता, क्रिया एवं कर्म को कहीं भी प्रयुक्त किया जा सकता है; अर्थात् इन सबको किसी भी क्रम में रखने पर वाक्यार्थ नहीं बदलता है। इसके मूल में भाषा का जो तत्त्व सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण …
Chapter 5 समास-प्रकरण (व्याकरण) समास का अर्थ है-संक्षेप। दो या दो से अधिक पदों को इंसे प्रकार मिलाना कि उनके आकार में कमी आ जाये और अर्थ भी पूरा-पूरा निकल आये, को समास कहते हैं; जैसे-नराणां पतिः = नरपतिः। यहाँ पर ‘नराणां पति:’ का वही अर्थ है, जो ‘नरपति:’ का है, किन्तु ‘नरपतिः’ आकार में छोटा …
Chapter 4 धातु-रूप प्रकरण (व्याकरण) धातु-रूप प्रकरण जिस शब्द के द्वारा किसी काम के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे-‘राम: पुस्तकं पठति।’ इस वाक्य में ‘पठति से पढ़ने के काम का बोध होता है; अतः ‘पठति क्रिया है। क्रिया के मूल रूप को संस्कृत में ‘धातु’ कहते हैं; जैसे—राम: …
Chapter 3 शब्द-रूप प्रकरण (व्याकरण) संस्कृत में शब्दों को निम्नलिखित पाँच भागों में बाँटा जा सकता है- (1) संज्ञा, (2) सर्वनाम, (3) विशेषण, (4) क्रिया, (5) अव्यये। संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण में लिंग, कारक और वचन के अनुसार परिवर्तन होता है। क्रिया में कालें, पुरुष और वचन के अनुसार परिवर्तन होता है तथा अव्ययों में …
Chapter 2 सन्धि-प्रकरण (व्याकरण) ‘हिम’ और ‘आलय’, ‘देव’ और ‘आलय’, ‘देव’ और ‘इन्द्र’ आदि शब्द-युग्मों को सदि जल्दी-जल्दी पढ़ा जाये तो इनका मिला हुआ रूप ‘हिमालय’, ‘देवालय’, ‘देवेन्द्र’ आदि ही सदा मुख से निकलता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सन्धि शब्दों के मिले हुए उच्चारण को ही एक रूप है। इससे यह भी …
Chapter 1 माहेश्वर-सूत्र एवं वर्गों का उच्चारण (व्याकरण) भाषा- भाषा द्वारा हम अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचाते हैं तथा दूसरों के भावों को ग्रहण करते हैं। भाषा में अनेक ध्वनियाँ होती हैं। ध्वनियों को प्रकट करने वाले प्रतीकों को वर्ण कहा जाता है। दो या दो से अधिक वर्ण मिलकर शब्द-रचना करते हैं तथा अनेक …
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