Chapter 13 गुरु गोविन्द सिंह

पाठ का सारांश

गुरु तेगबहादुर के पुत्र तथा उत्तराधिकारी गुरु गोविन्द सिंह का जन्म सन् 1666 ई० में पटना (बिहार) में हुआ। उन्हें दस वर्ष की अवस्था में गुरु की गद्दी मिली। वे सैनिकों की भाँति घुड़सवारी करते और तलवार चलाते थे। इतना ही नहीं कुछ राजकाज भी होने लगा। इनके शिष्य इन्हें भेट देते थे। इनके शिष्य तथा दरबारी उन्हें ‘सच्चे बादशाह’  कहते थे। गुरु गोविन्द सिंह: सिखों के आग्रह पर आनन्दपुर आ गए जो गुरु तेगबहादुर की राजधानी थी। यहाँ 20 वर्ष तक रहकर धर्मग्रन्थों , को अध्ययन किया। ये अच्छे कवि और विचारक थे। इनके द्वारा रचित ‘चंडी-चरित्र’ और ‘चंडी का वार’ वीररस के सुन्दर काव्य हैं। इन्होंने एक पुस्तक ‘विचित्र नाटक’ भी लिखी, जिसके द्वारा लोगों में . उत्साह भरने की चेष्टा की।

सन् 1699 ई० में बैसाखी के दिन इन्होंने खालसा पंथ अथवा सिख धर्म की स्थापना की। गुरु गोविन्द सिंह ने सिखों को पाँच वस्तुओं को धारण करना जरूरी बताया। ये वस्तुएँ हैं–

  1. केश,
  2. कड़ा
  3. कंघा,
  4. कच्छा और
  5. कृपाण ये ‘पाँच ककार’ कहे जाते हैं।

गुरु ने अपने शिष्यों से जाति सूचक शब्द छोड़कर प्रत्येक सिख के नाम के साथ ‘सिंह’ जोड़ना जरूरी समझा। इस प्रकार सिख संगठित सैनिक बन गए। इससे औरंगजेब, जो दक्षिण में था, ने गुरु पर आक्रमण करने का आदेश दिया। गुरु अपने कुछ साथियों सहित बच निकले। गुरु औरंगजेब से छह-सात वर्ष तक युद्ध करते रहे। इन युद्धों  में उनके दो पुत्रे मारे गए और दो को सरहिंन्द के सूबेदार ने दीवार चिनवा दिया। गुरु ने फिर भी साहस और धैर्य नहीं छोड़ा। औरंगजेब ने गुरु को कैद करने का आदेश दिया लेकिन इसी बीच औरंगजेब की मृत्यु हो गई।

गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने 42 वर्ष के अल्प जीवन में अनेक कार्य किए। भेद-भाव मिटाकर और खालसा पंथ को संगठित करके उन्होंने देशवासियों को नई स्फूर्ति और प्रेरणा दी। नि:सन्देह वे हमारे देश के अमूल्य रत्न थे।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु गोविन्द सिंह ने सिखों को अपने नाम में सिंह लगाने का आदेश क्यों दिया?
उत्तर :
गुरु गोविन्द सिंह ने जाति-पाँति का भेदभाव समाप्त करने और एकता पर आधारित सैनिक संगठन बनाने के लिए सिखों के नाम के साथ ‘सिंह’ लगाने का आदेश दिया।

प्रश्न 2.
सिखों को किन पाँच वस्तुओं को धारण करना अनिवार्य है?
उत्तर :
सिखों को पाँच ककार- केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण धारण करना अनिवार्य है।

प्रश्न 3.
पंच प्यारे कौन कहलाए? 
उत्तर :
पंच प्यारे वे व्यक्ति कहलाए जो मृत्यु का डर छोड़कर अपनी बलि देने को तैयार हो गए थे।

प्रश्न 4.
खालसा पंथ की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर :
सन् 1699 ई० में वैसाखी के दिन गुरु गोविन्द सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ अथवा सिख धर्म स्थापना की थी।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति निम्नांकित में से उचित शब्दों के द्वारा कीजिए (पूर्ति करके)
उत्तर :
नान्दे (हैदराबाद), 1708, पुत्र, 1666,’मुगलों, पिता, 1699

  1. गुरु गोविन्द सिंह के जन्म के समय भारत में मुगलों का शासन था।
  2. गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु नान्दे ( हैदराबाद) स्थान में हुई थी।
  3. गुरु तेगबहादुर गुरुगोविन्द सिंह के पिता थे।
  4. गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 1666 ई० में हुआ था।
  5. गुरु गोविन्द सिंह ने वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी।

प्रश्न 6.
संक्षेप में उत्तर दीजिए
(1).
‘सच्चे बादशाह’ सम्बोधन किसके लिए किया गया था?
उत्तर :
‘सच्चे बादशाह’ सम्बोधन गुरु गोविन्द सिंह के पितामह गुरु हरगोविन्द के लिए किया गया था।

(2).
‘मसन्द’ किसे कहते हैं?
उत्तर :
‘मसन्द’ उन शिष्यों को कहते हैं जो गुरु को स्थान-स्थान पर खड़े होकर भेंट देते थे।

(3).
गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित पुस्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
गुरु गोविंद सिंह द्वारा रचित पुस्तकों के नाम हैं- ‘चंडी चरित्र’, ‘चंडी का वार’ और ‘विचित्र नाटक’।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित के बारे में लिखिए- चंडी चरित्र, विचित्र नाटक, पाँचककार
उत्तर :
चंडी-चरित्र – यह गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित वीररस का सुन्दर काव्य है। गुरु ने इसके माध्यम से शिष्यों में अदम्य साहस और वीरता का संचार किया।

विचित्र नाटक – गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित इस नाटक के द्वारा लोगों में उत्साह भरने की चेष्टा की गई। इसमें गुरु ने लिखा है, “तुम हमारे पुत्रों के समान हो, नया पंथ चलाओ। लोगों से  कहो कि, सत्यमार्ग पर चलकर नासमझी से दूर रहें।”

पाँच ककार – केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण सिखों को धारण करना अनिवार्य है।

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