Chapter 16 कौन बनेगा निंगथउ (राजा) (मंजरी)
महत्वपूर्ण गद्यांश की व्याख्या
निंगथउ और …………………………… वह मर गया।
संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘कौन बनेगा निंगथउ (राजा)’ नामक पाठ से लिया गया है।
प्रसंग – यह पाठ मणिपुर की एक लोककथा पर आधारित है। इसमें पर्यावरण संरक्षण और जनता से प्रेम की भावना का अनोखा चित्रण हुआ है।
व्याख्या – राजा-रानी युवराज चुनने की इच्छा से अपने तीनों राजकुमारों की उपेक्षा कर अपनी पाँच साल की छोटी लड़की सानातोंबि की तरफ देख रहे थे। वह बरगद के पेड़ के पास उदास खड़ी थी। बरगद का पेड़ मर गया था। उस पर जो घोंसले थे, उनके टूट जाने पर आस-पास के पक्षी फड़फड़ा रहे थे। क्योंकि उन्हें अपने घोंसले नहीं मिल रहे थे। लड़की विचार कर रही थी कि बरगद के पेड़ को चोट लगी है; जिससे यह जमीन पर गिरकर मर गया है। लड़की के दिल में वेदना थी। इस कारण वातावरण में चुप्पी छाई हुई थी।
पाठ का सार (सारांश)
बहुत पुराने समय की बात है, मणिपुर के कांगलइपाक राज्य में एक राजा और रानी राज करते थे। वे अपनी प्रजा, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी से बहुत प्यार करते थे, लेकिन उनके कोई सन्तान नहीं थी। लोगों की प्रार्थना से उनके एक पुत्र सानाजाउबा ने जन्म लिया। बहुत धूमधाम से उत्सव मनाया गया। इसके बाद फिर उत्सव मनाया गया, जब दूसरे पुत्र सानायाइमा ने जन्म लिया। इसके बाद तीसरा पुत्र सानातोंबा पैदा हुआ। बारह सालों बाद सुन्दर-सी पुत्री सानातोंबि हुई; जो कोमल दिलवाली और बहुत प्यारी थी।
सभी बच्चे जवान होने लगे और राजा बहुत वृद्ध हो चले थे। उन्होंने मंत्रियों को बुलाकर तीनों पुत्रों में से एक को युवराज चुनने की ठानी। बड़ा पुत्र सानाजाउबा को पुरानी प्रथा के अनुसार युवराज बनना चाहिए था; लेकिन पुरानी प्रथा छोड़कर जो सबसे योग्य हो, उसे ही युवराज बनाने की योजना बनी। एक घुड़दौड़ हुई। उसमें तीनों राजकुमार एक ही साथ बरगद के पेड़ तक पहुँच जो दौड़ का आखिरी बिन्दु था। चूँकि तीनों ही अच्छे घुड़सवार थे, इसलिए युवराज चुने जाने की खातिर उन तीनों से अपने तरीके से कुछ करने को कहा गया।
सर्वप्रथम सानाजाउबा घोड़े पर सवार होकर बहुत तेजी में दौड़ते हुए बरगद के पेड़ को भेदकर निकल गया। दूसरा राजकुमार एक अद्भुत छलॉग में उस विशाल वृक्ष को पार करके दूसरी ओर निकल गया। अब सबसे छोटे राजकुमार की बारी आई। उसने ऐसा घोड़ा दौड़ाया कि बरगद को जड़ से उखाड़ दिया और उसे उठाकर राजा-रानी के सामने लाकर डाल दिया।
छोटी बेटी पाँच वर्षों की सानातोंबि, मरे हुए बरगद के पास चुप खड़ी थी। पक्षी पेड़ पर अपने घोंसले को ढूँढ़ रहे थे। राजा-रानी ने देखा कि सानातोंबि दूसरों का दर्द समझती है। उसे मनुष्य, पेड़-पौधे, जानवर, पक्षी सभी की तकलीफ अनुभव होती है। राजा-रानी ने छोटी लड़की सानातोंबि को ही कांगलइपाक की होने वाली रानी चुना। पक्षी फड़फड़ाते हुए उसके सिर पर बैठने लगे। पक्षी लड़की द्वारा दिए दानों को चुगने लगे।
प्रश्न-अभ्यास
कुछ करने को –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
विचार और कल्पना
प्रश्न 1.
भारतीय संस्कृति में पेड़ पौधों को बहुत महत्व क्यों दिया गया है? पता करें।
उत्तर :
पेड़-पौधे परोपकारी होते हैं। उनसे हमें शुद्ध हवा, फल, फूल, लकड़ियाँ, औषधि आदि तमाम चीजें मिलती है। भारत के लोग शुरू ही इन पेड़-पौधों और जंगलों का महत्व समझते थे इसी कारण उनके संरक्षण हेतु उन्हें धर्म से जोड़ दिया गया। भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों की बहुपयोगिता को देखते हुए ही उन्हें इतना महत्त्व दिया गया है।
प्रश्न 2.
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3.
इस कहानी में निंगाथउ (राजा) के चुनाव के बारे में बताया गया है। बताइए-
(क) आपके यहाँ किन-किन का चुनाव किया जाता है?
(ख) चुनाव किन-किन तरीकों से किया जाता है?
(ग) हमें किस प्रकार के व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए?
उत्तर :
(क) हमारे यहाँ प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित विभिन्न मंत्रियों और मुखिया आदि का चुनाव होता है।
(ख) चुनाव मतदान द्वारा किया जाता है।
(ग) हमें ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ और कर्मनिष्ट व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए।
प्रश्न 4.
आप क्या-क्या करेंगे कि –
पशु-पक्षी आपसे प्यार करने लगें? – आपके आसपास हरियाली फैल जाए?
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
संकेत – चिड़िया को दाना-पानी, पशुओं को भोजन तथा हरियाली के लिए ज्यादा-से-ज्यादा पौधारोपण एवं वृक्षों का संरक्षण।
लोक कथा से
प्रश्न 1.
सभी बच्चों के नाम क्रमशः थे –
उत्तर :
(घ) सानाजाउबा, सानायाइमा, सानातोम्बा और सानातोम्बि।
प्रश्न 2.
जब निंगथउ और लेइमा, तुंगी का चुनाव कर रहे थे, उस समय सानातोम्बि की आयु थी
उत्तर :
(ग) पाँच वर्ष
प्रश्न 3.
किस राजकुमार ने तुंगी निंगथउ बनने के लिए क्या काम किया? तीर (→) के निशान से मिलाइए (मिलाकर) –
प्रश्न 4.
सानातोम्बि को अगली ‘लेइमा’ घोषित किया गया, क्योंकि –
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त ‘ख’ और ‘ग’ दोनों
प्रश्न 5.
निंगथउ को किसने याद दिलाया कि खोननंग में भी जान है –
उत्तर :
(ख) सानातोम्बि ने
प्रश्न6.
‘खोंगनंग में भी जान है।’ सानातोम्बि ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
खोगनंग एक विशाल पेड़ था, जिस पर बहुत से पक्षियों का बसेरा था। सानातोम्बि के भाइयों ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने में उस विशाल पेड़ को जमीन से उखाड़ दिया। सानातोम्बि को पेड़ की दुर्दशा देखकर बहुत दुख हुआ जिसके कारण उसने ऐसा कहा कि खोंगनंग में भी जान है।
प्रश्न 7.
कहानी की कौन सी बात आपको सबसे अच्छी लगी और क्यों?
उत्तर ;
कहानी में सानातोम्बि का पेड़ खोंगनंग के लिए उदास होना और निंगथउ द्वारा उसकी इस तकलीफ को समझते हुए उसे अगली लेइमा घोषित करना मुझे सबसे अच्छी बात लगी। क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि निंगथउँ एक उदार और प्रजावत्सल शासक था और उसने राज्य को दोबारा अपने जैसी एक शासिका प्रदान की।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
तुंगी, थाउरो, खोंगनंग शब्दों को खोजकर इनका हिन्दी अर्थ लिखिए।
उत्तर :
- तुंगी – युवराज
- थाउरो – शाबाश
- खोंगनंग – बरगद।
प्रश्न 2.
दो वाक्यों की रचना आप भी कीजिए, जिसमें एक ही क्रियापद से दोनों वाक्यों का अर्थ स्पष्ट हो रहा है।
उत्तर :
(क) हमें दूसरों का भला करना चाहिए; सिर्फ मनुष्यों का नहीं; पशुओं और पक्षियों सहित सभी जीवों का भी।
(ख) तुम्हें सबसे हिल-मिलकर रहना चाहिए, सिर्फ अपनों से नहीं; परायों से भी।
प्रश्न 3.
इस कहानी में आए हुए मुहावरों को छाँटकर इनका अपने वाक्यों में प्रयोग करें (प्रयोग करके)
उत्तर :
- सिर चूमना = प्यार करना
- वाक्य प्रयोग – सिर चूमने से प्यार प्रकट होता है।
- हक्का-बक्का रह जाना = अचरज में होना
- वाक्य प्रयोग – राजा की घोषणा सुनकर सब मंत्री हक्के-बक्के रह गए।
- पलक-झपकते ही कार्य करना = अतिशीघ्र कार्य करना
- वाक्य प्रयोग – उसने पलक झपकते ही दौड़ जीत ली।
इसे भी जानें –
नोट – विद्यार्थी स्वयं पढ़ें।