Chapter 18 रानी चेन्नम्मा (महान व्यक्तित्व)

पाठ का सारांश

एक बार कित्तूर के राजा मल्लसर्ज काकति आए, जहाँ नरभक्षी बाघ का आतंक था। वे बाघ का शिकार करनेवाली सैनिक वेश में सजी सुंदर कन्या की वीरता और सौन्दर्य पर मुग्ध हो गए। यह कन्या काकति के मुखिया की पुत्री थी, जिससे मल्लसर्ज ने शादी कर  ली और यह कित्तूर की रानी चेन्नम्मा बन गई। राजा मल्लसर्ज ने 1782 से 1816 ई० तक चौंतीस वर्षों तक कित्तूर पर राज किया। वे शासन प्रबन्ध में चेन्नम्मा का परामर्श लेते थे।
राजा मल्लसर्ज की मृत्यु के बाद उनका पुत्र शिवलिंग रुद्रसर्ज गद्दी पर बैठा। शीघ्र ही उसकी मृत्यु से कित्तूर के उत्तराधिकारी का प्रश्न आया। अँग्रेज कित्तूर पर अधिकार करना चाहते थे। रानी चेन्नम्मा ने प्रण किया कि मैं जीते जी कित्तूर को अँग्रेजों के हवाले नहीं करूंगी। अँग्रेजों को कित्तूर की स्वाधीनता खटक रही थी। 23 दिसम्बर 1824 को कलक्टर थैकरे ने कित्तूर पर घेरा डाल दिया। हार हो जाने पर चालीस अँग्रेजों को बन्दी बनाया गया। रानी चेन्नम्मा अँग्रेज स्त्रियों और बच्चों को अतिथिगृह में ले गईं और सूचना दे दी कि शत्रुपक्ष अपने बच्चों और स्त्रियों को ले जाए। रानी की इस उदारता का शत्रुओं पर अच्छा प्रभाव पड़ा।  ‘पराजय के बाद कलक्टर थैकरे ने अनेक प्रयास किए; किन्तु वह सफल नहीं हुआ। अन्त में रानी के वीर सैनिक बालप्पा के सटीक निशाने से थैकरे परलोक सिधार गया। यह निर्णायक युद्ध था, जिसमें रानी चेन्नम्मा ने विजय प्राप्त की। कित्तूर के मुठ्ठी भर वीरों से अँग्रेजी सेना को मुँह की खानी पड़ी। अन्तत: दिसम्बर 1824 ई० में अंग्रेजों ने पुनः कित्तूर पर हमला किया। पाँच दिन तक युद्ध चलने के बाद 5 दिसम्बर, 1824 ई० को अँग्रेजों का झण्डा कित्तूर पर लहराने लगा। रानी चेन्नम्मा को बन्दी बनाया गया। 2 फरवरी, सन् 1829 ई० को बेलहोंगल के किले में उसकी मृत्यु हो गई। रानी की वीरता, साहस, पराक्रम तथा देशभक्ति कित्तूर वासियों के लिए प्रेरणा स्रोत सिद्ध हुई। । बेलहोंगल में बना रानी चेन्नम्मा स्मारक और धारवाड़ का कित्तूर चेन्नम्मा पार्क रानी की वीरता, त्याग और उत्सर्ग की याद दिलाते हैं।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
अँग्रेज क्यों नहीं चाहते थे कि रानी किसी उत्तराधिकारी को गोद लें?
उत्तर:
अँग्रेज कित्तूर को अँग्रेजी राज्य में मिलाना चाहते थे।  इस कारण वे रानी को उत्तराधिकारी गोद नहीं लेने देना चाहते थे।

प्रश्न 2:
रानी चेन्नम्मा के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया और क्यों?
उत्तर:
रानी की वीरता, साहस, स्वदेशप्रेम, उदारता और उत्सर्ग’ ऐसी विशेषताएँ हैं, जिनसे हम बहुत ज्यादा प्रभावित हैं। इसका कारण यह है कि सीमित साधन होते हुए भी स्वाधीनता के लिए इतना साहस दिखाकर रानी चेन्नम्मा ने अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

प्रश्न 3:
इस पाठ में रानी के व्यक्तित्व की किन-किन  विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है?
उत्तर:
विद्यार्थी इसे प्रश्न के उत्तर के लिए प्रश्न 2 का उत्तर देखें।

प्रश्न 4:
पता कीजिए

(क) कुछ और वीर महिलाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
उत्तर:
कुछ वीर महिलाएँ जिन्होंने अपने देश के लिए  प्राण-न्योछावर कर दिए हैं, उनके नाम- रानी दुर्गावती, चाँद बीबी और लक्ष्मी बाई हैं।

(ख) नोट:
विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5:
नोट- विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 6:
वर्तनी शुद्ध कीजिए ( वर्तनी शुद्ध करके)
उत्तर:
व्यक्ती- व्यक्ति, आकृमण- आक्रमण, आहूति- आहुति, सौभाज्ञ- सौभाग्य।

प्रश्न 7:
पाठ में आए मुहावरे छाँटकर अपने वाक्यों  में प्रयोग कीजिए (प्रयोग करके)
उत्तर:
देखते रह जाना- प्रभावित होना-चेन्नम्मा की वीरता और सौन्दर्य पर मुग्ध होकर मल्लसर्ज देखते ही रह गए।

अन्तिम साँस गिनना:
मरने के करीब होना- पुत्र वीरनारायण के अन्तिम साँस लेने के समय भी रानी दुर्गावती युद्ध करती रही। | प्राणों की आहुति देना- बलिदान हो जाना— चेन्नम्मा के वीर सैनिकों ने कित्तूर की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

टूट पड़ना:
हमला कर देना-क्रान्तिकारी, आराम करती अँग्रेजी  सेना पर टूट पड़े।

मुँह की खाना:
हार जाना तराइन की पहली लड़ाई में पृथ्वीराज के सम्मुख गोरी को मुँह की खानी पड़ी।

दाल ने गलना:
सफल न होना-कित्तूर पर अधिकार जमाने में अँग्रेजों की दाल नहीं गली, तो उन्होंने हमला कर दिया।

प्रश्न 8:
संही विकल्प को चुनिए ( सही विकल्प चुनकर)
रानी चेन्नमा ने अंग्रेजों के सभी प्रलोभन ठुकरा दिए, क्योंकि

  • वह बहुत संम्पन्न थीं।
  •  वह कित्तूर की स्वाधीनता बेचने को तैयार न थीं।
  •  उन्हें अंग्रेजों पर विश्वास न था। 

प्रश्न 9:
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)

  • रानी चेन्नम्मा ने प्रण किया कि वे जीते जी कित्तूर को अंग्रेजों के हवाले नहीं करेंगी।
  • बेलहोंगल में बना रानी चेन्नम्मा स्मारक तथा धारवाड़ में बना कित्तूर चेन्नम्मा पार्क रानी की वीरता, त्याग व उत्सर्ग की याद दिलाते हैं।\

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *