Chapter 2 वैदिक कालीन नारियाँ (महान व्यक्तित्व)
पाठ का सारांश
गार्गी : हमारे देश में ज्ञान-विज्ञान, त्याग-तपस्या, साहस और बलिदान के उदाहरण प्रस्तुत करने वाली अनेक महिलाओं ने जन्म लिया है। ऐसी ही नारी गार्गी थी जो अत्यन्त शिक्षित विदुषी महिला थी। एक बार राजा जनक ने यज्ञ किया। उन्होंने घोषणा की कि सबसे महान विद्वान मेरी गौशाला की एक हजार गाएँ ले जाए। विद्वानों के घबरा जाने पर याज्ञवल्क्य ने अपने शिष्यों से गाएँ ले जाने को कहा। क्योंकि उन्हें इनकी आवश्यकता थी। सारे विद्वान शास्त्रार्थ करने के लिए याज्ञवल्क्य को चुनौती देने लगे। जब वे सब हार गए; तब अन्त में गार्गी ने प्रश्न पूछने के लिए राजा से आज्ञा माँगी। गार्गी ने अत्यन्त पैने और गहन अध्ययन पर आधारित प्रश्न किए। सब प्रश्नों का यथोचित उत्तर देने के बाद अन्ततः एक प्रश्न ऐसा आया जिसका याज्ञवल्क्य उत्तर न दे सके और चुप हो गए। गार्गी अत्यन्त बुद्धिमती थी। वह नहीं चाहती थी कि याज्ञवल्क्य जैसे परमविद्वान का अपमान हो। गार्गी ने थोड़ी देर बाद भरी सभा में कहा कि याज्ञवल्क्य से बड़ा कोई विद्वान नहीं है। गार्गी के ज्ञान और उदारता की प्रशंसा होने लगी। ज्ञान और उदारता की ऐसी प्रतिभाएँ हमारे देश का गौरव हैं।
अपाला:
महर्षि अत्रि की पुत्री अपाला अद्वितीय सुन्दरी और बुद्धिमति थी। एक दिन सुबह स्नान के समय वह अपनी जंघा पर सफेद दाग/चकत्ते देखकर चिन्तित हो उठी। ये दाग बढ़ते गए और वह इस बात को छिपाए रही। धीरे-धीरे वह विवाह योग्य हो गई।
एक दिन वेदों के ज्ञाता विद्वान कृशाश्व अत्रि के अतिथि रूप में आए। अपाला के सौन्दर्य और व्यवहार कुशलता से मुग्ध होकर उन्होंने उसके साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की। महर्षि अत्रि ने अपाला का विवाह कृशाश्व के साथ कर दिया। वह पति के आश्रम में चली गई। एक दिन सफेद चकत्तों पर कृशाश्व की दृष्टि पड़ गई। वह अपाला को तिरस्कार और उपेक्षा की दृष्टि से देखने लगा। पति से अपमानित होकर वह पिता के आश्रम में लौट आई।
दुखी अत्रि ने अपाला को सांत्वना दी और रोग के निदान के लिए पुरुषार्थ करने की सलाह दी। उन्होंने । अपाला से इन्द्र की उपासना करने को कहा। वह इन्द्र की उपासना में लग गई। वह मन्त्रों का जाप करके सत्तू और सोमरस का नैवेद्य चढ़ाया करती थी। अपाला के प्रेम और भक्ति से इन्द्र गद्गद हो उठे। उन्होंने प्रकट रूप में सत्तू और सोमरस का पान किया। उन्होंने कहा, “अपाले! तुम धन्य हो। तुम्हारा रोग दूर हो जाएगा।” इन्द्र के वरदान से अपाला रोगमुक्त हो गई। उसका शरीर स्वर्ण के समान चमकीला हो गया और वह अपने प्रेम और निष्ठा के फलस्वरूप अमर हो गई।
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1:
राजा जनक ने क्या घोषणा की?
उत्तर:
राजा जनक ने घोषणा की कि जो सबसे विद्वान हो, वह मेरी गौशाला की एक हजार गायों को ले जाए।
प्रश्न 2:
गार्गी ने याज्ञवल्क्य की विद्वता के बारे में सभा को क्या बताया ?
उत्तर:
गार्गी अत्यन्त बुद्धिमती थी। वह नहीं चाहती थी कि याज्ञवल्क्ये जैसे परम विद्वान का अपमान हो। वह चुप हो गई और भरी सभा में बोली “इस सभा में याज्ञवल्क्य से बढ़कर कोई विद्वान नहीं।”
प्रश्न 3:
अपाला किस बात से चिन्तित हो उठी?
उत्तर:
अपाला अपनी जंघा पर सफेद दाग/चकत्ते देखकर चिन्तित हो उठी।
प्रश्न 4:
अपाला रोग मुक्त किस प्रकार हुई?
उत्तर:
इन्द्र के वरदान से अपाला रोग मुक्त हुई।
प्रश्न 5:
सही विकल्प चुनिए (सही विकल्प चुनकर)
(क) याज्ञवल्क्य द्वारा प्रश्न का उत्तर न दिए जाने पर गार्गी चुप हो गयी क्योंकि
उत्तर:
वह याज्ञवल्क्य जैसे परम विद्वान का अपमान सहन नहीं कर सकती थी।
(ख) बालिकाएँ हर क्षेत्र में स्वयं को साबित कर सकती हैं, अगर
उत्तर:
शिक्षा और समानता के अवसर प्रदान किए जाएँ।