Chapter 4 सूत-पुत्र (डॉ० गंगासहाय प्रेमी)

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, गाजीपुर, मैनपुरी, जालौन, हरदोई, बाराबंकी, आदि जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित नाटक के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर ले।

प्रश्न 1.
सूत-पुत्र’ नाटक की कथा संक्षेप में लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक का कथा-सार संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ में कर्ण के जीवन से सम्बन्धित मार्मिक प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

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प्रश्न 2.
‘सूत-पुत्र’ नाटक के प्रथम अंक की कथा को संक्षेप में लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के किसी एक अंक की कथा पर प्रकाश डालिए।
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प्रश्न 3.
सूत-पुत्र’ नाटक के द्वितीय अंक की कथा का सार संक्षेप में लिखिए।
या
द्रौपदी स्वयंवर की कथा ‘सूर -पुत्र’ नाटक के आधार पर लिखिए।
या
द्रौपदी स्वयंवर का कथानक अपने शब्दों में लिखिए।

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प्रश्न 4.
‘सूत-पुत्र’ नाटक के तृतीय अंक की कथा का सार अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के तृतीय अंक में कर्ण-इन्द्र अथवा कर्ण-कुन्ती संवाद का सारांश लिखिए।
उत्तर:

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प्रश्न 5.
‘सूत-पुत्र के चतुर्थ अंक के कर्ण और अर्जुन के संवाद के आधार पर सिद्ध कीजिए कि कर्ण युद्धवीर होने के साथ-साथ दानवीर भी था।
या
‘सूतपुत्र’ के सर्वाधिक रोचक और प्रेरणास्पद कथांश को लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के चतुर्थ अंक की कथावस्तु अपने शब्दों में लिखिए।

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प्रश्न 6.
सूत-पुत्र नाटक के आधार पर कर्ण की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र के प्रमुख पात्र (नायक) कर्ण का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर प्रमाणित कीजिए कि “‘कर्ण का जीवन फूलों की शय्या नहीं, काँटों का बिछौना ही रहा है।”
या
‘सूत-पुत्र’ के प्रमुख पात्र कर्ण के जीवन से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? नाटक के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए
या
“कर्ण वीर एवं दानी दोनों भा।” सिद्ध कीजिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के चतुर्थ अंक में वर्णित श्रीकृष्ण और कर्ण के संवाद के माध्यम से दानवीर कर्ण के चरित्र पर प्रकाश डालिए।

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प्रश्न 7.
‘सूत-पुत्र के आधार पर श्रीकृष्ण के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर श्रीकृष्ण की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र नाटक के किसी एक पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।
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प्रश्न 8.
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर दुर्योधन की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
डॉ० गंगासहाय प्रेमी कृत ‘सूत-पुत्र’ नाटक का कथानक संस्कृत के महाकाव्य ‘महाभारत’ पर आधारित है। यद्यपि इस नाटक का कथानक पूर्ण रूप से कर्ण को केन्द्रबिन्दु मानकर ही अग्रसर होता है। परन्तु नाटक में दुर्योधन भी एक प्रभावशाली पात्र के रूप में उपस्थित हुए हैं, जो राजनीति के गुणोंसाम, दाम, दण्ड, भेद का खुलकर प्रयोग करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अन्त तक प्रयासरत रहते हैं। उनके चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(1) सच्य़ा मित्र-दुर्योधन एक सच्चा मित्र है। वह कर्ण को अपना मित्र बनाता है। आजीवन मित्रता का निर्वाह करता है। मित्र होने के कारण कर्ण की हर सम्भव मदद करने को तत्पर रहता है।

 (2) गुणों का पारखी-दुर्योधन गुणों का भी पारखी है। द्रौपदी के स्वयंवर में जब सूत-पुत्र होने के कारण कर्ण को स्वयंवर में भाग लेने के अयोग्य घोषित करते हुए अपमानित किया गया तो दुर्योधन ने कर्ण में वीरता, धीरता, आज आदि गुणों को देखते हुए तुरन्त उसको अंगदेश का राजा बनाकर अपना मित्र बनी लिया। इस प्रकार हमें कह सकते हैं कि दुर्योधन गुणों का पारखी ही नहीं बल्कि दूरदर्शी भी था।

(3) उचित-अनुचित का विचार न करने वाला–जब ब्राह्मण वेषधारी अर्जुन द्रौपदी को स्वयंवर से जीतकर ले जा रहा था तो दुर्योधन ने कर्ण को अर्जुन से द्रौपदी को छीनने के लिए उकसाया, किन्तु कर्ण ने उसकी यह अनुचित बात नहीं मानी। इस प्रकार दुर्योधन उचित-अनुचित का विचार न करने वाला, घोर स्वार्थी एवं दुष्ट स्वभाव का व्यक्ति था।

(4) ईष्र्यालु व्यक्ति-दुर्योधने वीर है लेकिन उसके अन्दर ईष्र्या का अवगुण भी है। वह भीम से प्रबल ईष्र्या करता है।

(5) अनीतिज्ञ-दुर्योधन अनीतिज्ञ व्यक्ति है। यह नहीं है कि वह नीति को जानता नहीं है, लेकिन स्वार्थवश वह अनीति का कार्य करने के लिए भी उद्यत रहता है। नीति सम्बन्धी तथ्यों को वह नहीं मानता है और द्रौपदी का अपहरण कर लेना चाहता है।

(6) वीर और महत्त्वाकांक्षी-दुर्योधन वीर और महत्त्वाकांक्षी तो है, परन्तु विचारवान नहीं है। कर्ण के रथ का सारथी शल्य को बनाते समय वह उसकी प्रकृति के सम्बन्ध में नहीं सोचती है।

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि नाटककार ने दुर्योधन के रूप में ऐसे व्यक्तियों की ओर इंगित किया है जो समाज और राष्ट्र से ऊपर अपने हित को ही सर्वोपरि मानते हैं। ऐसे व्यक्ति नेता हों अथवा अधिकारी सर्वथा समाज द्वारा त्याज्य हैं, जो किंचित भी राष्ट्र का कदापि हित नहीं कर सकते।

प्रश्न 9.
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर कुन्ती का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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प्रश्न 10.
परशुराम का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर ‘परशुराम’ का चरित्रांकन कीजिए।
या
‘सूत-पुत्र के आधार पर परशुराम की चारित्रिक विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।

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प्रश्न 11.
सूत-पुत्र’ नाटक के नायक कर्ण के अन्तर्द्वन्द्व पर प्रकाश डालिए।
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प्रश्न 12.
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