Chapter 5 मेरी माँ (मंजरी)
महत्त्वपूर्ण गद्यांश की व्याख्या
माँ मुझे विश्वास है ……………………. लिखा जाएगा।
संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘मेरी माँ पाठ से अवतरित है। इसके लेखक महान देशभक्त रामप्रसाद बिस्मिल हैं।
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने अपनी माँ के प्रति श्रद्धा-भक्ति व्यक्त करते हुए अपने बलिदान पर उससे धैर्य धारण करने की प्रार्थना की है।
व्याख्या – लेखक को यह विश्वास है कि उनकी माँ मेरे भारतमाता के चरणों में बलिदान देने के कारण धैर्य धारण और गर्व का अनुभव करेगी; यह सोचकर कि पुत्र ने कुल का नाम अमर कर दिया और देशसेवा करने की प्रतिज्ञा को दृढ़तापूर्वक निबाहा। भारत के स्वाधीन होने पर जो इतिहास लिखा जाएगा, उसमें उनकी माँ का नाम भी स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
पाठका सार
बिस्मिल की माँ ग्यारह वर्ष की उम्र में विवाहित होकर शाहजहाँपुर आई थीं। वे एक अशिक्षित ग्रामीण कन्या थीं। सास की छोटी बहन ने उन्हें गृहकार्य और भोजनादि कार्य सिखाया। बिस्मिल के जन्म के पाँच या सात वर्ष बाद उन्होंने घर पर ही शिक्षित सहेलियों के सम्पर्क में देवनागरी की किताबें पढ़ना सीख लिया था। उन्होंने बिस्मिल और उनकी छोटी बहनों को पढ़ाना शुरू कर दिया था।
बिस्मिल के व्यक्तित्व निर्माण में उनकी माता ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी यदि वे न होतीं, तो बिस्मिल एक साधारण मनुष्य की तरह संसार चक्र में फँसकर जीवन गुजारते शिक्षादि के अलावा माँ ने बिस्मिल की उनके क्रांतिकारी जीवन में वही सहायता की, जो मेजिनी की उनकी माता ने की थी। बिस्मिल की माँ का उनके लिए आदेश था कि शत्रु को कभी प्राणदण्ड मत देना। बहुत अधिक प्रेम और दृढ़ता से बिस्मिल की माँ ने उनका सुधार किया। माता की दया से वे देशसेवा में संलग्न हो सके। धार्मिक जीवन में भी उन्होंने बिस्मिल को प्रोत्साहन दिया। माँ अपनी देववाणी से प्रेम और दृढ़ता भरे शब्दों में उन्हें उपदेश देती थीं। इस प्रकार बिस्मिल की आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक उन्नति में माँ ने सदैव सहायता की। संकट के समय में बिस्मिल को अपनी प्रेमभरी वाणी से सांत्वना देती रहती थी, जिससे वे धैर्यशील बन सके थे। बिस्मिल की इच्छा थी कि जन्म-जन्मान्तर तक परमात्मा उन्हें ऐसी ही माता दें, जिनके चरण-कमलों को प्रणाम कर, परमात्मा का स्मरण करके वे देशसेवा में शांतिपूर्वक प्राण त्याग सकें।
प्रश्न-अभ्यास
कुछ करने को –
नोट – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।
विचार और कल्पना
प्रश्न 1.
अगर घर की माताएँ पढ़ी-लिखी हों, तो वे घर को कैसे स्वर्ग बना सकती हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
अगर घर की माताएँ पढ़ी-लिखी हों, तो वे घर में सुसंस्कृत परिवेश बनाए रख सकती हैं। वे बच्चों को स्वयं पढ़ा-लिखाकर उन्हें योग्य बनाने, पारिवारिक सदस्यों में सामंजस्य तथा सौहार्द्र बनाए रखने में सहायता कर सकती हैं।
प्रश्न 2.
विद्यार्थी स्वंय करें।
पाठ से
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए प्रश्नों में उत्तर के रूप में तीन विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प पर सही का निशान लगाइए (निशान लगाकर) –
(अ) बिस्मिल की माँ का विवाह
(क) ग्यारह वर्ष की अवस्था में हुआ था।
(ख) अट्ठारह वर्ष की अवस्था में हुआ था।
(ग) बीस वर्ष की अवस्था में हुआ था।
(ब) बिस्मिल के क्रान्तिकारी जीवन में उनकी माँ ने उनकी वैसी ही सहायता की, जैसी –
(क) भगत सिंह की उनकी माँ ने की थी।
(ख) चन्द्रशेखर आजाद की उनकी माँ ने की थी।
(ग) मेजिनी की उनकी माँ ने की थी।
(स) बिस्मिल ने माता को धैर्य धारण करने के लिए कहा; क्योंकि उनका पुत्र
(क) कायर का जीवन नहीं जीना चाहता था।
(ख) छिपकर नहीं रहना चाहता था।
(ग) भारत माता की सेवा में प्राणों की बलि चढ़ाना चाहता था।
प्रश्न 2.
बिस्मिल की माँ ने पढ़ना-लिखना कैसे सीखा?
उत्तर :
‘बिस्मिल’ की माँ ने घर पर ही सहेलियों की मदद से पढ़ना-लिखना सीखा।
प्रश्न 3.
रामप्रसाद बिस्मिल’ ने कहा था, “इस संसार में मेरी किसी भी भोग-विलास तथा ऐश्वर्य की इच्छा नहीं, केवल एक तृष्णा है…..” वह तृष्णा क्या थी ? लिखिए –
उत्तर :
अमर शहीद रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की तृष्णा थी कि एक बार श्रद्धापूर्वक माँ के चरणों की सेवा कर अपने जीवन को सफल बना लेता।
प्रश्न 4.
इस पाठ की किन-किन बातों ने आपको प्रभावित किया? क्यों?
उत्तर :
इस पाठ में राम प्रसाद बिस्मिल को अपनी माँ के प्रति और भारत के प्रति जो आदर और श्रद्धा-भक्ति व्यक्त की है वह अनुकरणीय है। बिस्मिल के इन्ही गुणों ने मुझे बहुत प्रभावित किया। क्योंकि ये गुण सबमें नहीं पाए जाते।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
‘प्रबन्य’ में ‘प्र’, ‘परिश्रम” में “परि’, ‘अवलोकन में ‘अव’, ‘निर्वाह’ में ‘निर्’ उपसर्ग लगे हैं। इन्हीं उपसर्गों की सहायता से तीन-तीन नए शब्द बनाइए (शब्द बनाकर) –
प्रश्न 2.
अवर्णनीय’ में ‘ईय’ और ‘धार्मिक’ में ‘इक’ प्रत्यय है। इन प्रत्ययों की सहायता से चार-चार नए शब्द बनाइए (शब्द बनाकर) –
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए (संधि-विच्छेद करके) –
प्रश्न 4.
कोष्ठक में दिए गए कारक चिह्नों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके) –
(के, ने, को, की, में, से, के लिए)
(क) शाहजहाँपुर आने के थोड़े दिनों के बाद दादी जी ने अपनी छोटी बहन को बुला लिया।
(ख) तुम्हारी दया की छाया में मैंने अपने जीवन भर में कोई कष्ट न अनुभव किया।
(ग) तुम्हारी दया से ही मैं देश-सेवा में संलग्न हो सका।
(घ) आपके आदेश की पूर्ति करने के लिए मुझे अपनी प्रतिज्ञा भंग करनी पड़ी।
प्रश्न 5.
नीचे दिए गए वाक्यों को सही पदक्रम में लिखिए –
(क) बुला लिया अपनी छोटी बहन को दादी ने।
उत्तर :
दादी ने अपनी छोटी बहन को बुला लिया।
(ख) अवलोकन करने लगीं देवनागरी पुस्तकें वे।
उत्तर :
वे देवनागरी पुस्तकों का अवलोकन करने लगीं।
(ग) भंग करनी पड़ी थी मुझे अपनी प्रतिज्ञा।
उत्तर :
मुझे अपनी प्रतिज्ञा भंग करनी पड़ी थी।
(घ) ध्यान आ जाता तुम्हारी स्वर्गीय मूर्ति का मुझे।
उत्तर :
मुझे तुम्हारी स्वर्गीय मूर्ति का ध्यान आ जाता।
प्रश्न 6.
ग्यारह वर्ष की ……………………. कहते हैं।
अब आप नीचे लिखे वाक्यों को पढ़िए और उनके विशेषण भेद लिखिए (लिखकर) –
(क) सभी सदस्य खा रहे हैं। – अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ख) कुछ लोग टहल रहे हैं। – अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ग) मुझे दो दर्जन केले दे दो। – निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(घ) मैंने चार रुपये का आम खरीदा। – निश्चित संख्यावाचक विशेषण
प्रश्न 7.
इस पाठ की जिन बातों से आप प्रभावित हुए हों उन्हें अपनी कॉपी पर लिखिएः
अवधारणां चित्र-किसी पात्र अथवा विषयवस्तु के बारे में उसकी विशेषता, गुण, लाभ, हानि के प्रमुख बिन्दुओं के आधार पर चित्रण करना। चित्र ‘क’ के अनुसार ‘ख’ को पूरा करें –
नोट – पूरे परिवार की देखभाल, घर का खर्च चलाने के लिए नौकरी, माता-पिता, पत्नी तथा बच्चों की देखभाल घर के लिए सभी आवश्यक सामानों की व्यवस्था, सामाजिक दायित्व की पूर्ति करना।
इसे भी जानें –
नोट – विद्यार्थी ध्यान से पढ़े।