Chapter 9 भव्या भागीरथी

शब्दार्था:-हिमाद्रेः = हिमालय पर्वत से, सम्भूता = निकली हुई, सुहासा = सुन्दर, हँसती हुई, पुनासि = पवित्र करती हो, धात्री = धारण करने वाली, त्रिपथगे = तीन मार्गों से जाने वाली, गंगा, उत्सङ्गे = गोद में, कुल्याभिः = छोटी नहरों से व्रजति = जाता है, तरणिषु = नौकाओं में, यान्ति. = जाते हैं, ईहा = इच्छा, चेद् = यदि।।

हिमाद्रेः सम्भूता …………………………………………….. नस्तव जलम् ॥1॥
हिन्दी अनुवाद-हे गंगा माता! तुम हिमालय से उत्पन्न हुई, हिमालय की गोद में विचरण करती हो; तब पृथ्वी पर आती हो और समतल सन्न होकर हँसते हुए विचरण करती हो। फिर समुद्र की ओर निरन्तर बहती हुई तुम सभी को वित्र करटो होः हे ! माता! तुम्हारा जल हमें सुख प्रदान करने वाला है।

न जाने ……………………………….. तटे ॥2॥
हिन्दी अनुवाद-हे भगवती गंगा! हम नहीं जानते कि हमारा कौन-सा पुण्य फलीभूत हुआ है कि हमारा प्रिय देश तुम्हारे पवित्र जल-कणों से पवित्र हो गया है। हरिद्वार और काशी तुम्हारे तट की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। सभी तीर्थों का अधिपति अतुलनीय प्रयागराज तुम्हारे तट पर स्थित है।

जनानाम् धात्री ……………………………………… मनुजाः ॥3॥
हिन्दी अनुवाद-तुम सभी जनों का पालन करने वाली हो, मीठे फल तथा अन्न प्रदान करती हो, अपने मधुर जल से भारत भूमि को सींचती हो। हे शुभ गंगा। सुशोभित तरंगों वाली तुम्हारी गोद में बच्चों की भाँति खेलते हुए वे मनुष्य धन्य हैं।

पयस्ते ………………………………………… कृत्यैरूपकृताः ॥4॥
हिन्दी अनुवाद-तुम्हारा मधुर जल नहरों से होकर बहुत दूर तक जाता है। उससे सींचे हुए खेत हरे-भरे और सुन्दर हो जाते हैं। तुम्हारे गहरे जल में नावों में बैठकर यात्री लोग सुखपूर्वक दूर तक जाते हैं। संसार में हम सब तुम्हारे कार्यों से सदा कृतज्ञ रहेंगे।

अये पुण्ये गङ्गे ……………………………………. विहरतः ॥5॥
हिन्दी अनुवाद-हे पवित्र गंगा! यदि संसार में मेरा फिर जन्म हो, तो शुभ भारत भूमि ही मेरी क्रीड़ा-स्थली हो। मैं तुम्हारे सुखदायक जल का सदा ही सेवन करता रहूँ। तुम्हारे किनारे पर विहार करते हुए मुझ जैसे व्यक्ति की कोई दूसरी अभिलाषा ही नहीं है।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारण कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) गङ्गा कुतः सम्भूता?
उत्तर
हिमाद्रेः।

(ख) तीर्थानां पतिः कः?
उत्तर
प्रयागराजः।

(ग) गङ्गायाः पयः काभिः बहुदूरं व्रजति?
उत्तर
कुल्याभिः।

(घ) गङ्गायाः गंभीरे नीरे तरणिषु के सुखं यान्ति?
उत्तर
पथिकाः।।

(ङ) भागीरथी कान् पुनाति?
उत्तर
लोकान्।

प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) गङ्गातटे कानि प्रसिद्धानि नगराणि स्थितानि?
उत्तर
गङ्गातटे हरिद्वारः, काशी, प्रयागराजः च प्रसिद्धानि नगराणि स्थितानि।

(ख) गङ्गा-जलात् सिक्तं क्षेत्र कीदृशं भवति?
उत्तर
गङ्गा-जलात् सिक्तं क्षेत्रं हरितं चापि भवति।

(ग) गङ्गा कीदृशैः जलैः भारतभुवम् सिञ्चति?
उत्तर
गङ्गा मधुमयैः जलै: भारतभुवम् सिञ्चति।

(घ) भागीरथ्याः उत्सङ्गे के शिशवः इव खेलन्ति?
उत्तर
भागीरथ्याः उत्सङ्गे मनुजाः शिशवः इव खेलन्ति।।

प्रश्न 4.
अधोलिखित-पदेषु सन्धि-विच्छेदं कुरुत (सन्धि-विच्छेद करके)-
उत्तर

प्रश्न 5.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) गंगा सभी नदियों में श्रेष्ठ है।
उत्तर
अनुवाद-गङ्गा सर्वेषु नदिषु श्रेष्ठा अस्ति।

(ख) इसका जल शीतल एवं पवित्र है।
उत्तर
अनुवाद-अस्य जलं शीतलं पवित्रं च अस्ति।

(ग) पर्यटक गंगा में नौका विहार करते हैं।
उत्तर
अनुवाद-पर्यटकाः गंगायाम् नौका विहारम् कुर्वन्ति।

(घ) गंगा-तट पर बैठकर लोग तप करते हैं।
उत्तर
अनुवादे-गंगायाः पुलिने स्थित्वा जनाः तपं कुर्वन्ति।

(ङ) वाराणसी में गंगा तट बहुत सुन्दर है।
उत्तर
अनुवाद-वाराणसी नगर्याम् गङ्गा तानि सुन्दराणि सन्ति।

प्रश्न 6.
रेखांकित-पदानि आधृत्य प्रश्न निर्माणं कुरुत (करके)
(क) गङ्गा हिमाद्रेः सम्भूता।
उत्तर
गङ्गा कुतः सम्भूता।

(ख) गङ्गा लोकान् पुनाति।
उत्तर
गङ्गा कान् पुनाति।

(ग) हरिद्वारं काशी तव तटमहत्त्वं कथयतः।
उत्तर
हरिद्वारं काशी तव किम् कथयतः।

(घ) पयस्ते कुल्याभिः व्रजाति।
उत्तर
पयस्ते कौ: व्रजति।

प्रश्न 7.
अधोलिखित-पदान् समानार्थक-पदैः सह योजयत (जोड़कर)
उत्तर

• नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केत और एतदपि जानीत स्वयं करें।

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